अनुराग वर्मा।
हल्द्वानी।जब साईया भय कोतवाल तो डर काहेका,यह कहावत बहुत पुरानी है लेकिन समय समय पर कुछ लोग इस का चरितार्थ करने के साथ ही गंभीरता के साथ इस मुहावारे के अर्थ को प्रमाणित करने से नही चुकते।अब सवाल यह है की कोतवाल कौन-?अरे भाई कोतवाल वो है जो राजा है और राजा कौन-? राजा वो है जिसकी सरकार है।यहां तक तो बात समझमे आगई परन्तु प्रजा कौन है,प्रजा वही है जो राजा के खास है फिर हम कौन है भाई हम है जमूरे जो किसी एक के इशारे पर चलता है।
इस समय समूचे उत्तराखंड मे महिला उत्पीड़न,बलत्कार,शोषण जैसी शर्मशार घटनाये आम हो गई एक,आये दिन कोई न कोई महिला बच्ची इन हैवानो की हैवानियत का शिकार हो रही है।हैवानियत का शैतान किसी के अंदर हो सकता है।फिर वो चाहे आम इंसान हो या नेता ,अभिनेता कोई भी। सत्ताधारी पार्टी के वरिष्ठ समाजसेवको के लिए इस तरह का सामाजिक कार्य (उनकी जुबान मे )करना आसान हो जाता है,क्योकि जब साईया भय—-किसी को नौकरी लगवा देने की बात कहकर ,किसी का प्रमोशन करवा देने का लालच देकर इस तरह के किसी का शोषण करना शायद इन समाजसेवको के लिए अपने सामाजिक कार्य पूर्ण करने का तरीका होगा।
सत्ता,शोहरत और दौलत इंसान को शैतान भी बना सकती है।अगर उसमे अपने मन मस्तिक को भटकने नही दिया तो।अल्मोड़ा,हल्द्वानी,लालकुआं,देहरादून और कहा कहा तक गिनाऊ समझदार के लिए इतना है काफी है की दूध का जला( जरूरी नही है की वो आँचल दूध हो और हो भी सकता है) छाज भी फूक फूक कर पीता है।
पुलिस ने गांजे के साथ दो महिलाओं और एक पुरुष को गिरफ्तार किया।
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