उत्तराखंड\: उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर विधानसभा सत्रों को कम दिनों तक चलाने का आरोप लगाया है और मानसून सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली के अनुसार, साल में तीन सत्रों का कुल मिलाकर 60 दिन चलना अनिवार्य है। लेकिन पिछले कुछ सालों से सरकार सत्रों को महज 15 दिनों तक सीमित कर रही है।
यशपाल आर्य ने बताया कि इस साल भी विधानसभा के सत्र केवल नाम मात्र के लिए आयोजित किए गए हैं, जिनमें शोक प्रस्ताव वाले दिन भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिस दिन शोक प्रस्ताव पर चर्चा होती है, उस दिन अन्य कोई कार्य नहीं होता, जिससे विधायी कार्य और भी सीमित हो जाते हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पिछले साल भी विधानसभा के सभी सत्र केवल 8-10 दिनों तक ही चले थे।
आर्य ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह विधानसभा सत्रों की कम अवधि के लिए “बिजनेस न होने” का हास्यास्पद तर्क देती है। उन्होंने कहा कि राज्य में अभी भी उत्तर प्रदेश के सैकड़ों कानून चल रहे हैं, और यदि सरकार की इच्छा शक्ति होती, तो वह राज्य की परिस्थितियों के अनुसार नए कानून बनाकर विधानसभा में विधायी कार्य को बढ़ा सकती थी।
आर्य ने कहा कि राज्य में बेरोजगारी, महंगाई, चारधाम यात्रा व्यवस्था में सरकार की नाकामी, आपदा, कानून व्यवस्था, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को विधानसभा में उठाना आवश्यक है। लेकिन प्रभावी रूप से केवल दो दिन चलने वाले सत्र में इतने मुद्दों पर चर्चा संभव नहीं है। उन्होंने मांग की कि सदन की अवधि बढ़ाई जाए ताकि इन महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हो सके।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस इस बार भी सकारात्मक राजनीति करते हुए जन मुद्दों को उठाएगी और सरकार को सदन में जवाबदेह बनाएगी।